उद्दालक आरुणि वाक्य
उच्चारण: [ udedaalek aaruni ]
उदाहरण वाक्य
- उद्दालक आरुणि का यह अध्यात्मदर्शन आत्मा की अद्वैतता तथा व्यापकता का पूर्ण परिचायक है।
- कुछ विचारकों के अनुसार छान्दोग्योपनिषद् में ऋषि उद्दालक आरुणि गांधार देश का वर्णन करते हैं।
- पर यही श्वेतकेतु, उद्दालक आरुणि जैसे दार्शनिक के पुत्र होने के बावजूद काफी बड़े हो जाने पर भी निरक्षर थे।
- छान्दोग्य उपनिषद् में यह प्रसंग आता है कि पाँच विद्वान ब्राह्मण वैश्वानर आत्मा के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा से जब उद्दालक आरुणि के पास पहुँचते हैं तो वे उन्हें राजा अश्वपति कैकय के पास ले जाते हैं.
- आरुणि ने ही एक रात मूसलाधार बारिश के पानी को आश्रम में प्रवेश करने से रोकने के लिए खुद को रात भर मेढ़ पर लिटाए रखा और आरुणि के इस कठिन कर्म से प्रभावित होकर आचार्य धौम्य ने उनका नाम रख दिया था, उद्दालक आरुणि यानी उद्धारक आरुणि।
- आरुणि ने ही एक रात मूसलाधार बारिश के पानी को आश्रम में प्रवेश करने से रोकने के लिए खुद को रात भर मेढ़ पर लिटाए रखा और आरुणि के इस कठिन कर्म से प्रभावित होकर आचार्य धौम्य ने उनका नाम रख दिया था, उद्दालक आरुणि यानी उद्धारक आरुणि।
- इस मन्त्र का एक भाव और भी है, वह यह कि भगवान इन सब में रहता हुआ भी इन सबसे अतिरिक्त है | रिक्त = प्ररिक्त = अतिरिक्त एक पदार्थ के वाचक हैं | उद्दालक आरुणि के प्रश्न का उत्तर देते हुए याज्ञवाल्क्य ने बहुत सुन्दरता से इसका निरूपण किया है
- [i] वाल्टर रूबेन ने भारत में दर्शन का स्पष्ट प्रारम्भ छान्दोग्य उपनिषद में उद्दालक आरुणि के पुद्गल-जीववाद से माना है और उनके अनुसार ‘ उसका भौतिकवाद, जो बहुत आदिम है, उस मान्यता का, जिसे देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय ने लोकायत में “ प्रागैतिहासिक इहलोक परायणता ' कहा है, और जो कबायली युगों की विशेषता रही थी, पहला क्रमबद्ध निरूपण है.
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